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आध्यात्मिक साधना में योग की भूमिका-उपनिषदों के संदर्भ में

Author : डॉ. योगेश कुमार और डॉ. राघव कुमार

Abstract :

उपनिषद भारतीय दर्शन की आत्मा हैं, जहाँ आत्मा (आत्मन) और परमात्मा (ब्रह्मन) के ज्ञान को केंद्र में रखा गया है। उपनिषदों में योग को केवल शारीरिक अभ्यास नहीं, बल्कि आत्मज्ञान और मोक्ष प्राप्ति का एक साधन माना गया है। इस शोध में यह विश्लेषण किया जाएगा कि उपनिषद योग को किस प्रकार आध्यात्मिक साधना का माध्यम मानते हैं। योग भारत की प्राचीनतम और सर्वश्रेष्ठ जीवन-पद्धतियों में से एक है। यह केवल एक शारीरिक अभ्यास नहीं, बल्कि शरीर, मन और आत्मा के समन्वय का मार्ग है। योग का उद्देश्य है- व्यक्ति को अपने वास्तविक स्वरूप (आत्मा) से परिचित कराना और परम शांति की प्राप्ति कराना। आज के भागदौड़ और तनावपूर्ण जीवन में योग की भूमिका और भी महत्वपूर्ण हो गई है। उपनिषद योग को केवल एक साधना नहीं बल्कि मोक्ष (कैवल्य) का मार्ग मानते हैं। यह योग न केवल शरीर और मन की एकता है, बल्कि आत्मा और परमात्मा की एकता की खोज है। उपनिषदों में वर्णित योग की अवधारणा आज भी उतनी ही प्रासंगिक है, विशेषकर उन लोगों के लिए जो केवल शारीरिक योग तक सीमित नहीं रहकर आध्यात्मिक उन्नति चाहते हैं। उपनिषद वेदांत का सार हैं -आत्मा और ब्रह्म के ज्ञान के माध्यम से मोक्ष की प्राप्ति इनका मुख्य उद्देश्य है। इसमें बताई गई आध्यात्मिक साधनाएँ आत्म-ज्ञान और मोक्ष प्राप्ति का मार्ग हैं।

Keywords :

आध्यात्मिक साधना, आत्मा, योग, उपनिषद, मोक्ष।