Download PDF

अमरकान्त के उपन्यासों में लोक जीवन

Author : डॉ. स्नेहलता निर्मलकर

Abstract :

कथावस्तु, पात्र, चरित्र-चित्रण, संवाद, कथोपथन, देशकाल, वातावरण, भाषा शैली, उद्देश्य आदि तत्वों के सम्मिश्रण को उपन्यास कहते हैं। उपन्यास उप + न्यास नामक दो शब्दों के मेल से बना है। उप का तात्पर्य है- समीप और न्यास का अर्थ है- धरोहर, या थाती। इसका सामूहिक अर्थ है मनुष्य के निकट रखी वस्तु। अर्थात् उपन्यास ऐसी घटनाओं का संग्रह है, जिसको पढकर यह अनुभव हो कि इनकी घटनाएँ, हमारे जीवन से सम्बन्ध रखने वाली पूर्ण या आंशिक प्रतिबिम्ब हैं। उपन्यास को अंग्रेजी में नावेल, गुजराती में नवलकथा, मराठी में कादम्बरी और बैंगला में उपन्यास आदि पर्याय से जाना जाता है। उपन्यास सम्राट मुंशी प्रेमचन्द उपन्यास की परिभाषा गढ़ते हुए कहते हैं कि मानव चरित्र पर प्रकाश डालना और उनके रहस्यों को खोलना ही उपन्यास का मूल तत्व है। उपन्यास एक विस्तृत आकार में गद्यात्मक पाठ है। यह मानव चरित्र की परिधि पर विभिन्न रहस्यों के उलझे हुए प्रसंगो का दीदार करता है।

Keywords :

उपन्यास, अमरकान्त, लोक जीवन।