नृत्य और संगीत का परस्पर सम्बन्ध
Author : डॉ. मृणाल प्रभाकरराव कडू
Abstract :
संगीत और नृत्य मानव संस्कृतीके अभिन्न अंग है, जो भावनाओ और विचारो को अभिव्यक्त करणे के मध्यम के रूप में कार्य करते है. ये दोनो कला रूप प्राचीन कालसे हीसमाज में मौजूद रहे है और मनोरंजन, अध्यात्मिक और सामाजिक संचार का एक महत्वपूर्ण साधन बने हुए है. नृत्य शरीर की लयबद्ध गतीविधी है, जो किसी संगीत या ध्वनी के साथ तालमेल बिठाकर प्रस्तुत किया जाता है. नृत्य और संगीत एक दुसरेके पूरक है.नृत्य संगीत के बिना अधुरा लगता है, और संगीत नृत्य के मध्यम से अधिक प्रभावशाली बनता है. दोनो का समन्वय धार्मिक अनुठनो, उत्सओ, नाटको और सांस्कृतिक प्रस्तुतियो में देखने को मिलता है.विभिन्न समाजोकि सांस्कृतिक धरोहर को संरक्षित और प्रगत करणे का मध्यम है.यह मानसिक स्वाथ्य प्रदान करता है और शारीरिक रूप से सक्रीय रहने में मदद करता है I
Keywords :
सृजनात्मकत, शारीरिक गति, नर्तक, शारीरिक भाषा आदि I