बालक के संज्ञानात्मक विकास में ब्रूनर का विशिष्ट योगदान
Author : डॉ. बी.एल. जैन और डॉ. अमिता जैन
Abstract :
संज्ञानात्मक विकास के क्षेत्र में जीन पियाजे एवं जेरोम ब्रूनर का अवदान अनूठा माना जाता है I 20वीं शताब्दी के श्रेष्ठ मनोवैज्ञानिकों की श्रेणी में जेरोम ब्रूनर को जाना जाता है I बालक के संज्ञानात्मक विकास में ब्रूनर का योगदान विशिष्ट रहा है I ब्रूनर ने बालक के विकास की प्रमुख तीन अवस्थाएं मानी हैं- सक्रियता, प्रतिमा और प्रतीक I इसके अतिरिक्त बालक के विकास में नवीन संयोजन, भाषा कुशलता का विकास, विषय का सरलीकरण, खोजपूर्ण तरीके से सामग्रियों को एकत्रित करना, समस्याओं का हल खोजना, सामग्री को एकत्रित करने में नवीनता को प्रतिस्थापित करना I उन्होंने यह सिद्ध किया कि बच्चे किस प्रकार सोचते हैं, समझते हैं और जानकारी को कैसे ग्रहण करते हैं। ब्रूनर का मानना था कि संज्ञानात्मक विकास केवल एक निष्क्रिय प्रक्रिया नहीं है, बल्कि इसमें बच्चों की सक्रिय भागीदारी होती है I
Keywords :
सक्रियता, प्रतिमा, प्रतीक, संज्ञानात्मक विकास, भाषा, कौशल, क्रियाशीलता आदि I