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प्राचीन भारतीय समाज में नारी की स्थितिः ऐतिहासिक अध्ययन

Author : रीता दयाल

Abstract :

नारी का स्थान अत्यंत प्राचीन काल से भारतीय समाज में महत्वपूर्ण रहा है। प्राचीन भारत में विभिन्न स्रोतों के अध्ययन से ज्ञात होता है कि एक तरफ तो नारी को जहाॅ पूज्यनीय स्वीकार किया गया है तो तो वहीं दूसरी तरफ उसे शासन के अधिकार, शिक्षा के अधिकार, एवं सम्पत्ति के अधिकार से वंचित किया गया। यद्यपि कि इन अधिकारों से वंचित होते हुए भी नारी को समाज एवं परिवार में विशेष दर्जा प्राप्त था अर्थात् गृहस्थ आश्रम में बिना और इस विवाह के प्रवेश किसी पुरुष को प्रवेश नहीं था आश्रम को प्रत्येक धार्मिक क्रिया पत्नी के साथ ही सम्पन्न की जा सकती थी। साथ ही विश्व की लगभग सभी प्रारम्भिक सभ्यताओं में समाज मातृसत्तात्मक था। कृषि के विकास, युद्ध आदि के प्रचलन के साथ शारीरिक श्रम का महत्व बढ़ा तथा पुरुष प्रधानता अथवा पितृसत्तात्मक समाज का विकास हुआ और स्त्रियाँ घर की चार दीवारी में कैद हुई और धीरे-धीरे उनका समाज में स्थान एवं महत्व पुरुषों की तुलना में कम होता गया।

Keywords :

प्राचीन कालीन समाज, नारी, बुद्धकाल, गुप्तकाल राजपूतकाल, मातृसत्तात्मक, पितृसत्तात्मक।