एक राष्ट्र एक चुनाव-वर्तमान परिदृश्य और भविष्य की संभावना
Author : Dr. PM Sharmila
Abstract :
चुनाव प्रक्रिया किसी भी लोकतांत्रिक देश की मुख्य पहचान होती है, यह लोकतंत्र को जीवंत रूप प्रदान करती है तथा देश की उन्नति में अपनी भागीदारी को भी सुनिश्चित करती है। हमारा भारत देश एक ऐसा लोकतांत्रिक देश है जिसमें लगभग हर वर्ष चुनाव की प्रक्रिया चलती रहती है। अलग-अलग राज्यों के चुनाव अलग–अलग समय पर होते रहते हैं। पिछले वर्ष 26 नवम्बर (संविधान दिवस) पर वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के द्वारा भारत के प्रधानमंत्री ने 80वें अखिल भारतीय पीठासीन अधिकारी सम्मेलन को संबोधित करते हुए उसका समापन किया।‘एक राष्ट्र-एक चुनाव’-यह विचार भारतीय चुनावी चक्र को एक तरीके से संरचित करने को संदर्भित करता है ताकि लोकसभा एवं राज्य विधानसभाओं के चुनावों को एक साथ एक ही समय पर कराया जाए जिससे दोनों का चुनाव एक निश्चित समय के भीतर हो सके। भारत में वर्ष 1951-52 से वर्ष 1967 तक विधानसभा के साथ-साथ लोकसभा के लिये भी चुनाव हुए थे। इसलिये इस विचार (एक राष्ट्र-एक चुनाव) की पर्याप्तता एवं प्रभावकारिता पर कोई असहमति नहीं होनी चाहिये। यहाँ तक कि भारत एक साथ स्थानीय निकायों के लिये भी चुनाव कराने के बारे में सोच सकता है।
Keywords :
चुनाव, एक राष्ट्र, बार, किया, देश