मौर्योत्तर काल में सामाजिक जीवन के विभिन्न आयाम: एक विश्लेषण
Author : Ruchika M
Abstract :
भारतीय समाज और संस्कृति का इतिहास अपने सात्त्य और अविच्छिन्नता के गुणों के कारण विश्व में अद्वितीय स्थान रखता है। प्रथम शताब्दी ई.पू. में भारत में विदेशी साम्राज्य की स्थापना के परिणामस्वरूप भारतीय समाज एवं संस्कृति गहराई से प्रभावित हुई। इस काल में एक ओर केन्द्रीकृत शासन सत्ता की समाप्ति परिलक्षित होती है और वहीं दूसरी ओर जीवन के विविध पक्षों में गतिशीलता एवं परिवर्तन दृष्टिगोचर होता है। विदेशी जातियों में शक, यवन, सीथियन, पारसीक, आभीर, तथा हूणों ने भारत पर आक्रमण कर एक दीर्घ अवधि तक शासन किया। यह विदेशी अपने साथ विभिन्न पृष्ठभूमियों के आचार-विचार, खान-पान और रहन-सहन की विभिन्न शैलियों को लाए, किन्तु कालान्तर में विभिन्न भौगोलिक और सांस्कृतिक परिवेश से आए ये विदेशी हमारी संस्कृति द्वारा आत्मसात कर लिए गए। इन विदेशियों के आगमन से हमारी सांस्कृतिक व सामाजिक गतिशीलता को बढ़ावा मिला। प्रस्तुत शोध पत्र में सामाजिक व्यवस्था के विविध पक्षों का वर्णन प्रस्तुत किया गया है।
Keywords :
अविच्छिन्नताए वेदाध्ययनए कर्मणा