रैगर जाति की सामाजिक, आर्थिक प्रस्थिति, भाषा तथा शैक्षिक स्तर
Author : Kavita
Abstract :
रैगर जाति मूलतः राजस्थान के दलित हैं। यह समुदाय सामाजिक-आर्थिक, शोषण व उत्पीड़न का शिकार रहा है। इसे दूसरे दलित जातियों की तरह ही सवर्ण जाति वेफ लोग समाज वेफ निचले क्रम में रखते थे। रैगर जाति दूसरी दलित जातियों की तरह शोषण का शिकार रही है। अगर यह कहा जाए की वह दूसरी दलित जातियों से श्यादा शोषण का शिकार रही है तो इस बात में कोई अतिशयोक्ति न होगी। रैगर समाज को बेहतर समझने के लिए इस समुदाय के नृजातीय; म्जीदपबद्ध इतिहास के बारे में जानना जरूरी है। रैगर शब्द का अर्थ है, ‘रंगरे’; रंगने वालाद्ध! रैगर चमड़े की रंगाई करते हैं। उन्हें चमार समूह; क्लस्टरद्ध के अन्तर्गत अनुसूचित जाति में शामिल किया गया है। अब इस समुदाय ने अपनी स्थिति में सुधर लाने के लिए संघर्ष शुरू कर दिया है तथा वे सामाजिक आर्थिक समता प्राप्त करने की कोशिश में लगे हुए हैं। अब कुछ सदस्य अन्य कार्यों में भी लग गए हैं, जैसे कि जिल्द साशी, अध्यापन, दर्शी का काम, अन्य नौकरियां तथा कपड़े एवं कृत्रिम आभूषणों की खरीद-प़्फरोख्त। शिक्षित सदस्य नौकरशाही में कार्यरत हैं। रैगर जाति की सामाजिक व आर्थिक प्रस्थिति को प्रस्तुत करते हुए शिक्षा के स्तर की जानकारी को प्रदर्शित करने का प्रयास किया है।
Keywords :
रैगर जाति, सामाजिक, आर्थिक, प्रस्थिति, भाषा, शिक्षा