मुंशी प्रेमचंद के कहानियों में सामाजिक संचेतना
Author : डाॅ. मिथलेश सिंह राजपूत
Abstract :
मुंशी प्रेमचंद जी ने कथा-साहित्य के सामाजिकता पर विशेष जोर दिया है उन्होंने अपनी कृतियों के द्वारा समाज के दबे कुचले लोगों की समस्याओं पर प्रकाश डाला, ईस क्षेत्र में वे प्रगतिशील लेखकों के श्रेणी में अग्रणी माने जाते हैं । वह जिंदगी भर ऐसे बहुत से राह भटकों को रास्ता दिखाते रहे उनके अनुसार समाज में आर्थिक समानता होनी चाहिए। सदा पूंजीवाद व्यवस्थावाद की घोर निंदा करते रहे उनका मानना यह भी था कि प्रत्येक को श्रम करना चाहिए उन्होंने अपनी अनेक रचनाओं में वर्ण व्यवस्था की कड़ी निंदा की है उन्होंने सामाजिक दायित्व को सफलतापूर्वक निभाया है।
Keywords :
कथा-साहित्य, मुंशी प्रेमचंद, सामाजिक संचेतना।