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डिजिटल आर्काइव और इतिहास लेखन: अवसर और चुनौतियाँ

Author : प्रदीप सिंह

Abstract :

डिजिटल प्रौद्योगिकी के तीव्र विकास ने इतिहास लेखन की पद्धतियों को गहराई से प्रभावित किया है। डिजिटल आर्काइव—जैसे ऑनलाइन दस्तावेज़, दुर्लभ फोटोग्राफ, ऑरल हिस्ट्री के रिकॉर्ड, सरकारी अभिलेख, पुराने समाचार पत्रों के डिजिटाइज़्ड संग्रह तथा विस्तृत ई-लाइब्रेरी—ने ऐतिहासिक स्रोतों तक पहुँच को पहले से कहीं अधिक लोकतांत्रिक, सुलभ और व्यापक बना दिया है। इन साधनों ने शोधकर्ताओं को न केवल त्वरित सूचना-प्राप्ति और बहु-स्रोत सत्यापन की सुविधा प्रदान की है, बल्कि अंतर-विषयक शोध, तुलनात्मक अध्ययन और डेटा-आधारित ऐतिहासिक विश्लेषण की नई संभावनाएँ भी खोली हैं। परिणामस्वरूप इतिहास लेखन अधिक तकनीक-सहायक, बहु-दिशात्मक और वैश्विक दृष्टि वाला बनता जा रहा है।
दूसरी ओर, डिजिटल आर्काइव कई महत्वपूर्ण चुनौतियाँ भी प्रस्तुत करते हैं। डिजिटल सामग्री की प्रामाणिकता, कॉपीराइट और स्वामित्व के प्रश्न, डिजिटल डेटा की असंगत संरचना, तकनीकी उपकरणों पर अत्यधिक निर्भरता, तथा समाज में अभी भी मौजूद डिजिटल डिवाइड जैसे मुद्दे इतिहास लेखन की विश्वसनीयता और सार्वभौमिकता पर प्रश्न उठाते हैं। इसके अतिरिक्त, ऑनलाइन डेटा में हेरफेर या चयनात्मक प्रस्तुति की संभावनाएँ भी ऐतिहासिक विमर्श को प्रभावित कर सकती हैं। यह शोध-पत्र डिजिटल आर्काइव के इन अवसरों और चुनौतियों का समग्र विश्लेषण करते हुए इतिहास लेखन की भविष्य दिशा को समझने का प्रयास करता है I

Keywords :

डिजिटल आर्काइव, इतिहास लेखन, डिजिटल मानविकी, डेटा प्रामाणिकता, डिजिटल अभिगम, अभिलेखागार, डिजिटल डिवाइड आदि I