Download PDF

विकसित भारत एवं भूगोल पाठ्यक्रम

Author : आकांक्षा चतुर्वेदी

Abstract :

देश में भाषा और साम्प्रदायिकता के हावी होने के कारण इस कठिन समय में भूगोल का उचित पाठ्यक्रम हमारी बहुत कुछ सहायता कर सकता है। देश की महानता तथा गौरव बताकर इस देश के निवासियों में देश-प्रेम की लहर दौड़ाकर भूगोल भावात्मक एकता स्थापित कर सकता है। हम सभी उस सुन्दर तथा विशाल देश के वासी हैं जहाँ गंगा यमुना, ब्रह्मपुत्र, नर्मदा, ताप्ती, कावेरी आदि नदियाँ हैं। यह देशवासियों की हैं। गगनचुम्बी हिमालय सभी देशवासियों का है। भूगोल प्रदेशों की संकुचित सीमाओं से उठाकर हममें उन्नत, विशाल दृष्टिकोण विकसित कर सकता है। देश के अन्दर हिन्दू, मुसलमान, सिख और ईसाई के प्रश्न को भूगोल नहीं उठने देता है। देश की एकता पर राष्ट्रीयता को भावना जाग्रत करता है। चम्बल नदी मध्य प्रदेश या राजस्थान की ही नहीं है, वरन् सम्पूर्ण देश की है। इसी प्रकार गंगा, यमुना, नर्मदा, भाखड़ा या दामोदर बांधों के बारे में कहा जा सकता है। बड़े उद्योगों के बारे में भी कहा जा सकता है। भूगोल के पाठ्यक्रम में ऐसे अनेक स्थल आते हैं, जहाँ संकुचित दृष्टिकोंण से ऊपर उठकर एक विशाल तथा उदार और सहानुभूतिपूर्ण दृष्टिकोंण पोषित किया जा सकता है। वही दृष्टिकोंण राष्ट्रीय और सामाजिक एकता में योगदान देता है। लगातार शिक्षा में परिवर्तन हो रहे हैं, इन परिवर्तनों ने भूगोल पाठ्यक्रम में कई आधारभूत बदलाव किये हैं। जैसे नवीन तकनीकी का प्रयोग, नवीन शिक्षण विधियों का प्रयोग, वैश्विक समझ विकसित करने वाली विषय वस्तु का समावेश के साथ-साथ वैश्विक भागीदारी के लिये तैयार करने के प्रयासों को को प्राथमिकता मिली है।

Keywords :

वैश्वीकरण, भारतीय शिक्षा, भूगोल पाठ्यक्रम।