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क्षेत्रीय इतिहास का मानचित्रण: शक्ति, पहचान और संस्कृति — राजस्थान के संदर्भ में

Author : प्रदीप सिंह

Abstract :

राजस्थान के ऐतिहासिक अध्ययन में क्षेत्रीय इतिहास का महत्व निरंतर बढ़ता जा रहा है। “क्षेत्रीय इतिहास का मानचित्रण: शक्ति, पहचान और संस्कृति — राजस्थान के संदर्भ में” शीर्षक वाला यह शोध प्रदेश की विविध सामाजिक-सांस्कृतिक संरचनाओं, शक्ति-संबंधों और क्षेत्रीय पहचान की निर्मिति को समझने का प्रयास करता है। यह अध्ययन यह स्पष्ट करता है कि राजस्थान का इतिहास केवल राजवंशों, युद्धों और स्थापत्य स्मारकों तक सीमित नहीं है, बल्कि इसमें लोक परंपराओं, जातीय संबंधों, भाषायी विविधता और सांस्कृतिक प्रतीकों की भी समान भूमिका रही है।
इस शोध में शक्ति को केवल राजनीतिक अवधारणा के रूप में नहीं, बल्कि एक सामाजिक और सांस्कृतिक बल के रूप में देखा गया है, जो समय-समय पर क्षेत्रीय पहचान के निर्माण में सहायक रही है। राजस्थान की सांस्कृतिक विरासत — जैसे लोककथाएँ, लोकगीत, उत्सव, तथा लोकनायक — क्षेत्रीय अस्मिता को न केवल जीवित रखते हैं, बल्कि शक्ति-संरचनाओं के वैकल्पिक दृष्टिकोण भी प्रस्तुत करते हैं।
इसी के साथ, यह शोध यह भी विश्लेषण करता है कि औपनिवेशिक और उत्तर-औपनिवेशिक काल में इतिहास लेखन की पद्धतियों ने किस प्रकार राजस्थान के क्षेत्रीय इतिहास को या तो हाशिए पर रखा या फिर उसे एक समरूप सांस्कृतिक इकाई के रूप में प्रस्तुत किया। समकालीन इतिहासलेखन में स्थानीय और जनसामान्य के दृष्टिकोण को सम्मिलित कर के एक नए विमर्श का निर्माण करना इस शोध का प्रमुख उद्देश्य है।
अतः, यह अध्ययन राजस्थान के क्षेत्रीय इतिहास की बहुआयामी प्रकृति को उद्घाटित करते हुए शक्ति, पहचान और संस्कृति के परस्पर संबंधों का गहन विश्लेषण करता है। यह न केवल अतीत की पुनर्समीक्षा है, बल्कि भविष्य के इतिहास लेखन के लिए एक वैचारिक दिशा भी प्रदान करता है I

Keywords :

राजस्थान, क्षेत्रीय इतिहास, शक्ति, पहचान, संस्कृति, लोक परंपरा, इतिहास लेखन आदि I