Download PDF

रामदरश मिश्र के उपन्यासों में अभिव्यक्त स्थानीय संस्कृति

Author : डॉ. गीता संतोष यादव और अनुष्का प्रदीप पाचंगे

Abstract :

हिन्दी साहित्य के देदीप्यमान लेखकों में डॉ. रामदरश मिश्र का स्थान महत्वपूर्ण है I मिश्र जी ने साहित्य की लगभग सभी विधाओं पर अपनी कलम चलाई है I स्वतंत्रता पूर्व से लेकर अबतक का संपूर्ण लेखा-जोखा उनके साहित्य में विद्यमान है I इस शोध-आलेख में उत्तरभारत की स्थानीय संस्कृति को दर्शाने का प्रयास मिश्र जी ने अपनी रचनाओं में किया है I दिल्ली, गुजरात, गोरखपुर की स्थानीय संस्कृति का चित्रण मिश्र जी ने अपने उपन्यासों में किया है I स्थानीय संस्कृति का अध्ययन करने के लिए मिश्र जी के उपन्यास पानी के प्राचीर, जल-टूटता हुआ, सूखता हुआ तालाब, अपने लोग, आकाश की छत, रात का सफर, थकी हुई सुबह, परिवार, बीस बरस आदि उपन्यासों को आधार बनाया गया है I
सामग्री (Martial): स्थानीय संस्कृति का अध्ययन करने के लिए मिश्र जी के उपन्यास पानी के प्राचीर, जल-टूटता हुआ, सूखता हुआ तालाब, अपने लोग, आकाश की छत, रात का सफर, थकी हुई सुबह, परिवार, बीस बरस आदि उपन्यासों को आधार बनाया गया है I
शोध-पद्धति (Method): प्रस्तुत शोध-कार्य के लिए विवेचनात्मक शोध-पद्धति, समीक्षात्मक शोध पद्धति का प्रयोग किया गया है I

Keywords :

डॉ. रामदरश मिश्र, स्थानीय संस्कृति, 'बिना दरवाजे का मकान ''सूखता हुआ तालाब”, जल टूटता हुआ, रात का सफर, अपने लोग, थकी हुई सुबह, परिवार आदि I