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दुष्कर्म से महिलाओं की शारीरिक तथा सामाजिक दशा में परिवर्तन का समाजशास्त्रीय अध्ययन

Author : प्रेरणा दाहुजा और डाॅ. सतीश कुमार

Abstract :

दुष्कर्म एक सार्वभौमिक रूप से घटित होने वाली परिघटना है। दुष्कर्म पीड़िता के प्रति रखी जाने वाली नकारात्मक अभिवृत्ति भी सार्वभौमिक है जो भिन्नदृभिन्न प्रकार के समाजों और संस्कृतियों में भिन्न-भिन्न हो सकती हैं। परन्तु इसके विपरीत मानवशास्त्रियों ने यह माना कि दुष्कर्म सभी समाजों में घटित होने वाली परिघटना नहीं है। इस संबंध में सेंडी (1981) में हुए अपने अध्ययन के माध्यम से ‘दुष्कर्म रहित समाजश् की अवधारणा दी और अधिकतर समाजों में यही माना जाता रहा कि दुष्कर्म सभी समाजों में समान रूप से नहीं पाया जाता है, जब तक कि नारीवादियों ने इस संबंध में अपने विचारों को प्रकट नहीं किया था।
प्रस्तुत शोध अध्ययन के दौरान दुष्कर्म एवं दुष्कर्म पीड़िता के प्रति अभिवृत्ति का मापन अनेक अवधारणाओं, आयामों एवं परिप्रेक्ष्यों के माध्यम से किया गया है। इस परिप्रेक्ष्यों के माध्यम से यह जानने का प्रयास किया गया है कि पीड़िता के प्रति समाज की अभिवृत्ति को नकारात्मक बनाने में कौन से कारक जिम्मेदार होते ? किस प्रकार की संरचनात्मक मूल्य, संस्कृति अथवा संस्था नकारात्मक अभिवृत्ति के निर्माण में योगदान देती है?
इन प्रश्नों के उत्तरों की खोज के साथ साथ यह भी जानने का प्रयास किया गया है कि पीड़िता के प्रति नकारात्मक अभिवृत्ति में कैसे सकारात्मक परिवर्तन लाया जा सकता है। इसके अलावा अन्य आयामों पर भी प्रकाश डालने का प्रयास किया गया है। जैसे कि दुष्कर्म को समाज द्वारा किस प्रकार समझा जाता है और समाज किस प्रकार दुष्कर्म को व्याख्यायित करता है, इस प्रशन का उत्तर समाजशास्त्रीय दृष्टिकोण से खोजने का प्रयास किया गया है। साथ ही दुष्कर्म मिथक एवं दुष्कर्म पीड़िता के प्रति नकारात्मक अभिवृत्ति किस प्रकार अपनी निरन्तरता को बनाए रखती है, दुष्कर्म एवं बलत्कार पीड़िता के प्रति जो नकारात्मक अभिवृत्ति समाज में व्याप्त रहती है उसका पुनरुत्पादन किस प्रकार होता है, इसकी गहन पड़ताल करने का प्रयास किया गया। सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि इस अध्ययन के माध्यम से यह भी जानने का प्रयास किया गया है कि दुष्कर्म की घटना घटित हो जाने के बाद पूरी नकारात्मक अभिवृत्ति, दोषारोपण, जिम्मेदारी एवं दुष्प्रभाव पीड़िता को ही क्यों उठानी पड़ती है? इन सभी प्रश्नों एवं समस्याओं का हल समाजशास्त्रीय दृष्टिकोण से ढूँढने का प्रयास किया गया है। एवं अंत में नकारात्मक अभिवृत्ति और पीड़िता के पुनर्वास के मध्य अंतर्संबंधों को समझने एवं उसकी व्याख्या करने का प्रयास करते हुए नीति निर्माण एवं नकारात्मक अभिवृत्ति को सकारात्मक बनाने हेतु कुछ उपयोगी सुझाव देने का प्रयास किया गया है।
 

Keywords :

दुष्कर्म, नारी विमर्श, मानसिक कष्ट