राष्ट्रीय शिक्षा नीति एवं युवा भारत का भविष्य
Author : अर्चना शर्मा
Abstract :
राष्ट्रीय शिक्षा नीति के क्रियान्वयन में अनेक चुनौतियां जैसे अधोसंरचना की कमी, रिक्त पदों पर शिक्षकों की नियुक्ति, प्रतिभावान विधार्थियों का कम रूझाान, पाठ्यक्रम को आधुनिक बनाना, व्यावसायिक शिक्षा को प्राथमिकता देना, उभरती हुई प्रौद्योगिकी को एकीकृत करना, जागरूकता की कमी, वित का अभाव, संसाधनों की कमी, परम्परागत शिक्षा पद्वति, शोध प्रणाली की कमी आदि है। बडी संख्या में उच्च शिक्षण संस्थायें खोलने पर उन्हें अयोग्य शिक्षक चलायेगे तो पढकर निकलने वाले स्नातक काम करने योग्य नही होगे और अधिक फीस के कारण साधरण परिवार कर्ज तले दब जाते है। युवा वर्ग बेरोजगार रहे तो उनके अपराध की ओर जाने का खतरा बढ जाता है। शिक्षकों के तबादलें पर तत्काल प्रभाव से रोक लगा दी जाए। शिक्षक का जुडाव समुदाय से होता है। बच्चों के बारे में वह तभी समझ पायेगे जब लंबे समय तक एक स्थान पर रह कर कार्य करे। पांचवी तक की शिक्षा को अनिवार्य व निशुल्क किया जाये, इसके लिए शिक्षा विभाग से अनुमति लेने की आवश्यकता नही है। समाज सेवी एवं स्वैच्छिक संस्थाएं भी आगे आए। शिक्षा के व्यावसायिकरण को रोका जाये। आधुनिकीकरण एवं नवीनीकरण को बढावा दिया जाये। निजी एवं सरकारी शिक्षण संस्थाओं के बीच भेद खत्म किया जाये। यह सार्वभौमिक सत्य है कि किसी राष्ट्र का समग्र विकास शिक्षा के माध्यम से ही सम्भव है। आदर्श शिक्षक से आदर्श समाज एवं राष्ट्र बनता है।
Keywords :
राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020, संभावनाएं एवं चुनौतिया।