महर्षि दयानंद सरस्वती का स्त्री शिक्षा विषयक विचार एवं योगदान: एक विस्तृत विश्लेषण
Author : कविता वर्मा
Abstract :
महर्षि दयानन्द सरस्वती का स्त्री शिक्षा के क्षेत्र में योगदान अत्यन्त महत्वपूर्ण और अद्वितीय था। आर्य समाज ने 19वीं शताब्दी के अन्त में स्त्री शिक्षा के प्रसार की दिशा में अनूठा कार्य किया। इस समय भारतीय समाज में स्त्री शिक्षा को लेकर अंधविश्वास और पुरानी परंपराएँ प्रबल थीं, और अधिकांश लोग यह मानते थे कि स्त्रियों को शिक्षा देना उनके चरित्र को भ्रष्ट कर देगा। इस माहौल में आर्य समाज ने कन्याओं के लिए शिक्षा के रास्ते खोलने का साहसिक कार्य प्रारम्भ किया। लाला देवराज जैसे समर्पित कार्यकर्ताओं ने जालन्धर में कन्या महाविद्यालय की स्थापना के लिए कई विफल प्रयासों के बाद सफलता हासिल की। आर्य समाज ने भारतभर में कन्या विद्यालय, महाविद्यालय और गुरुकुलों की स्थापना की, जहां लाखों कन्याओं ने शिक्षा प्राप्त की I
समय के साथ-साथ सरकार ने भी स्त्री शिक्षा के प्रसार के लिए कई कदम उठाए, लेकिन आर्य समाज का यह योगदान सर्वथा अनूठा था, जो समाज में स्त्रियों के प्रति दृष्टिकोण को बदलने में सहायक सिद्ध हुआ।
Keywords :
पुनर्जागरण, स्वावलम्बन, सशक्तिकरण, रूढ़िवादी, तर्कसंगत I