Download PDF

छत्तीसगढ़ में पर्यटन उद्योग का विश्लेषणात्मक अध्ययन

Author : डॉ. विनीता गौतम

Abstract :

मध्य भारत का ह्रदय, छत्तीसगढ राज्य अपने अनुपम प्राकृतिक सौदर्यता के कारण, पर्यटन उद्योग में एक महत्वपूर्ण राज्य के रूप में उभरा है, जिसकी विशेषता इसकी समृद्ध ऐतिहासिक विरासत, विपुल आदिवासी संस्कृति और आश्चर्यजनक प्राकृतिक परिदृश्य ने लोगों को आकर्षित किया है। लगभग 44ः से अधिक क्षेत्र वनों से आच्छादित होने के कारण, यह राज्य भारत के सबसे हरे-भरे राज्यों में से एक है, जो इको-पर्यटन के ढेरों अवसर प्रदान करता है। प्रमुख आकर्षणों में लुभावने चित्रकोट जलप्रपात, तीरथगढ जलप्रपात, जैव विविधता से भरपूर कांगेर घाटी राष्ट्रीय उद्यान और सिरपुर का प्राचीन पुरातात्विक स्थल शामिल हैं, जो इस क्षेत्र के ऐतिहासिक महत्व को दर्शाता है। छत्तीसगढ़ में पर्यटन क्षेत्र स्थानीय अर्थव्यवस्था में महत्वपूर्ण योगदान देता है, जो रोजगार पैदा करता है और आजीविका का समर्थन करता है, खासकर ग्रामीण और आदिवासी क्षेत्रों में। ‘‘हस्तशिल्प न केवल स्थानीय कारीगरों के कलात्मक कौशल को दर्शाते हैं, बल्कि पर्यटकों के लिए एक महत्वपूर्ण आकर्षण का केंद्र भी हैं।‘‘ (मेहता, 2016, पृष्ठ 115)। हालांकि, इन उद्योग को कई चुनौतियों का सामना करना पड़ता है, जिसमें अपर्याप्त बुनियादी ढाँचा, सीमित विपणन प्रयास और कुछ क्षेत्रों में सुरक्षा संबंधी चिंताएँ शामिल हैं। कुछ क्षेत्रों में नक्सली गतिविधि की उपस्थिति ने संभावित पर्यटकों के लिए सुरक्षा की धारणा को भी प्रभावित किया है। छत्तीसगढ़ राज्य अपनी पर्यटन क्षमता का उचित उपयोग करने के लिए, स्थानीय स्तर पर स्थायी पर्यटन प्रथाओं पर ध्यान केंद्रित कर रहा है, जो समुदाय-आधारित पहलों को बढ़ावा दे रहा है, जिससे स्थानीय आबादी को सशक्त बनाया जा सकें और उनके सांस्कृतिक विरासत को स्वयं उनके द्वारा संरक्षित किया जा सकें। राज्य सरकार घरेलू और अंतरराष्ट्रीय पर्यटकों को आकर्षित करने के लिए नवाचार के माध्यम से प्रचार रणनीतियों को बढ़ाते हुए परिवहन, आवास और पर्यटक सुविधाओं को बेहतर बनाने में निवेश कर रही है। संक्षेप में, छत्तीसगढ़ का पर्यटन उद्योग अपनी अनूठी पेशकशों और सांस्कृतिक समृद्धि से प्रेरित होकर महत्वपूर्ण संभावनाओं से भरा हुआ है। जो न केवल छत्तीसगढ़ राज्य बल्कि भारत को अर्थिक रूप से सशक्त बना सकता हैं। इसके लिए मौजूदा चुनौतियों का समाधान करके और संधारणीय प्रथाओं को बढ़ावा देकर, राज्य खुद को भारत में एक प्रमुख इको-पर्यटन स्थल के रूप में स्थापित कर सकता है, जो राष्ट्रीय पर्यटन परिदृश्य के समग्र विकास में योगदान देगा।

Keywords :

पर्यटन उद्योग, सांस्कृतिक विरासत, इको-पर्यटन, पुरातात्विक स्थल, संधारणीय प्रथाओं।