राज्य को पुनः स्थापित करनाः समकालीन विवाद
Author : Teeka Ram
Abstract :
राज्य एक ऐसा विचार है जो निरंतर बदलता रहा है। और लगातार अपने स्वरूप प्रकृति और अर्थ को गतिशील रखता है, और इसीलिए यहां पर ये जरूरी हो जाता है कि हम राज्य को समझने के लिए और मुख्य रूप से उसका सैद्धान्तिकरण करने के लिए बहुआयामी दृष्टिकोण और विभिन्न विमर्शों और वाद-विवाद आदि को समझने की कोशिश करें क्योंकि राज्य एक गतिशील विशेषता लिए हुए है। ओर इसीलिए इसमें कई बाते स्वयं ही शामिल होती चलती है, जैसे उदाहरण के तौर पर राज्या के साथ सरकार, सरकार के साथ शासन, शासन के साथ सत्ता, और सत्ता के साथ शक्ति ओर ये सभी बाते आपस में गतिशील रहती है।
Keywords :
पूंजीवाद, उद्योगवाद, प्रशासनिक शक्ति (निगरानी), राष्ट्रराज्य, प्रतिबिम्ब समाज, असन्निहितता