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आधुनिकता और राज्य की बदलती भूमिका

Author : Teeka Ram

Abstract :

प्रारम्भिक काल में वे माक्र्स से अत्यधिक प्रभावित थे। मुख्य रूप से माक्र्स के अर्थशास्त्र में उनकी अत्यधिक रुचि थी। माक्र्स जीवन पर्यन्त उत्पादन सम्बन्धों की चर्चा करते रहे। उनके सिद्धान्त का आधार ही उत्पादन सम्बन्ध थे। आज भी जो रूढ़िवादी माक्र्सवादी हैं, वे उत्पादन सम्बन्धों के इर्द-गिर्द ही अपना विश्लेषण करते हैं। इन उतपादन सम्बन्धों से प्रेरित होकर बोड्रिलार्ड ने माक्र्स में सुधार किया। माक्र्स ने उत्पादन सम्बधों पर अपने आपकों इतनी अधिक केन्द्रित कर दिया कि उन्होंने उपयोग की कोई चर्चा ही नहीं की। उपभोक्तावाद इस तरह उनकी पकड़ से छूट गया। इसी को बोड्रिलार्ड ने पकड़ लिया। यही इनकी केन्द्रीयता रही है। दूसरा बोड्रिलार्ड ने माक्र्स के एक और अछूते पहलू को अपनी विषयवस्तु बनाया। उन्होंने संस्कृति के विश्लेषण में आर्थिक और भौतिक प्रक्रियाओं पर अधिक जोर दिया। बोड्रिलार्ड के अकादमिक जीवन पर एक और प्रभाव संरचनावादियों का था। संरचनावादियों में भी भाषाविद् वैज्ञानिकों का प्रभाव बहुत ज्यादा था। इन भाषाविदों में फर्डिनेन्ड सोसोरे प्रमुख हैं। माक्र्स और सोसोरे के अतिरिक्त बोड्रिलार्ड पर दरखाईम का प्रभाव भी देखने को मिलता है। दरखाईम ने आदिवासियों के उपहार के विनिमय की जो परम्परा है, उसका विस्तृत अध्ययन किया है। आदिवासी जन्म और विवाह के अवसर पर उपहार या भेदस्वरूप वस्तुओं का विनिमय करते हैं। यह एक प्रक्रिया है जिसका अर्थ वस्तुओं को लेना और लौटाना, वस्तुओं को देना और प्राप्त करना होता है। दरखाईम की इस अवधारणा का प्रयोग बोड्रिलार्ड ने प्रतीकों के रूप में रखा है। यदि दरखाईम का विनिमय आर्थिक विनिमय है तो बोड्रिलार्ड का प्रतीकात्मक। यहाँ दरखाईम का प्रथाव बहुत स्पष्ट रूप में देखने को मिलता है।

Keywords :

पूंजीवाद, उद्योगवाद, प्रशासनिक शक्ति (निगरानी), राष्ट्रराज्य, प्रतिबिम्ब समाज