विश्वविद्यालयी विद्यार्थियों के मानसिक एवं सामाजिक स्वास्थ्य पर मौन साधना का प्रभावः एक समीक्षा
Author : Vidya and Dr. Naveen Chandra Bhatt
Abstract :
विश्व भर के विश्वविद्यालय के विद्यार्थी मानसिक संकट का सामना कर रहे हैं यह एक वास्तविक स्वास्थ्य समस्या है जिसके गंभीर परिणाम होते हैं। अग्रवाल (2004) उच्च तकनीक व विज्ञान की प्रगति, जिसके कारण मानसिक स्वास्थ्य को बनाये रखना बहुत कठिन है । सम्पूर्ण विश्व स्थाई प्रभावी हस्तक्षेप की मांग रखता है। विद्यार्थियों के मानसिक स्वास्थ्य को प्रभावित करने वाले अनेक कारण हैं। वर्तमान में कोविड-19 से महामारी, लर्निंग से संबंधित दबाव, वित्तीय तनाव, बेरोजगारी एवं अपर्याप्त नींद आदि मुख्य हैं जिस वजह से चिंता एवं अवसाद तेजी से बढ़ रहे हैं जो मानसिक स्वास्थ्य प्रभावित करता है। जिससे शैक्षिक प्रदर्शन पर नकारात्मक प्रभाव पड़ रहा है तथा विद्यार्थियों का जीवन की गुणवत्तार लगातार निम्न हो रहा है, मौन जीवन में शक्ति संचय का श्रेष्ठ अनुष्ठान है तथा वैचारिक द्वंद्व मौन से सहजता पूर्वक शांत हो जाता है सूक्ष्म सत्य को पकड़ने की शक्ति मां कल्पना शक्ति का विकास में उनके द्वारा होता है । (स्वामी अवधेशानंद 2018) विचारों को धारण करने योग्य अपनी मन को बनाना है यही मानसिक स्वास्थ्य है। मन मनुष्य के लिए शरीर की ही भांति अधिक महत्वपूर्ण तत्व है वास्तव में शरीर मन की कार्य स्थली है अर्थात मन में जो भाव एवं विचार उत्पन्न होते हैं उन विचारों एवं भावों की अभिव्यक्ति अथवा मूर्त रूप शरीर के माध्यम से दिया जाता है मन और शरीर का अटूट संबंध है मन के हारे हार मन के जीते जीत अर्थात् मन में नकारात्मक भाव आने पर भी शरीर में भी नकारात्मक परिवर्तन लगते हैं जबकि मन के सकारात्मक रहने से शरीर सकारात्मक ऊर्जा से परिपूर्ण रहता है शरीर के साथ-साथ मन का स्वस्थ रहना अत्यंत आवश्यक है । मौन साधना से व्यक्ति मन, वाणी एवं प्राण तीनों पर 1 संकल्प द्वारा इनके सजगता रखने में सफल हो जाता है मौन से व्यक्ति मन का विजेता बन जाता है मौन साधना से व्यक्ति अपना तर्क, कुतर्क से बचाव, सरलता से समस्या का हल, सामंजस्य स्थापित करने में सहायक, उच्च सोच व उच्च विचार युक्त हो जाते है।
Keywords :
मौन, द्वन्द्व, जप, महाभारत