महिला उत्पीड़नः एक समाजशास्त्रीय विश्लेषण
Author : देवकी मीणा
Abstract :
भारतीय समाज में महिलाएं एक लंबे समय से शोषण, यातना तथा अवमानना का शिकार रही है। भारतीय समाज में विद्यमान विचारधारा, संस्थागत रिवाजों, प्रतिमानों आदि ने महिलाओं के उत्पीड़न में योगदान किया है। वर्तमान में महिलाएं एक ओर जहां सफलता के नए आयामों की ओर बढ़ रही है, वहीं दूसरी ओर अनेक महिलाएं हिंसा और गंभीर अपराधों का शिकार हो रही है। उनको पिटा जाता है, उनका अपहरण किया जाता है, बलात्कार किया जाता है, यहां तक कि उनको जीवित जलाकर उनकी हत्या तक कर दी जाती है। हमारे समक्ष यह प्रश्न आता है कि वह कौन सी महिलाएं हैं जो कि हिंसा का शिकार होती है और महिला हिंसा के मूल कारण क्या है तथा इनको किस प्रकार जड़ से खत्म किया जाए? समाज में अधिकांश लोग इस प्रकार के प्रश्नों पर विचार नहीं करते बल्कि जब भी किसी महिला के साथ हिंसा की खबर देखते हैं या सुनते हैं तो उस हिंसा के खिलाफ आवाज उठाने के बजाय अपने घर की महिलाओं पर अनेक प्रकार के प्रतिबंध लगा देते हैं। महिलाओं के खिलाफ बढ़ती हुई हिंसा को देखते हुए संयुक्त राष्ट्र के द्वारा प्रतिवर्ष 25 नवंबर को अंतर्राष्ट्रीय महिला हिंसा उन्मूलन दिवस मनाया जाता है। इस दिवस का प्रमुख उद्देश्य दुनिया भर की महिलाओं के साथ हो रही हिंसा के प्रति लोगों को अधिक से अधिक जागरूक करना है और महिला हिंसा को जड़ से खत्म करना है।
Keywords :
घरेलू हिंसा, उत्पीड़न, बलात्कार, समाजीकरण, पितृसत्तात्मकता।