भारतीय जीवन मूल्यों में योग की भूमिका
Author : रूचि पाटीदार और डॉ मंजू शर्मा
Abstract :
भारतीय जीवन मूल्य यानी आध्यात्मिक जीवन जीने की पद्धति, पूरे विश्व में यही भारतीय संस्कृति की पहचान है| अध्यात्म रूपी सभ्यताएं एवं परंपरा ही भारतीय होने की पहचान है| भारतीय संस्कृति योगिक परंपराओं एवं अध्यात्म मार्ग पर चलने वाली उत्कृष्ट जीवनशैली है| भारतीय दर्शनों में योग सभी षट्दर्शनो का आधार है| षट्दर्शनों में भारतीय योग दर्शन को पूरे विश्व में ख्याति प्राप्त है| योग के व्यवहारिक ज्ञान का यह दर्शन पूरे विश्व के जीवन मूल्य का प्रतिनिधित्व करता है अर्थात सार्वभौमिक जीवन मूल्य जोकि मनुष्यता के लिए आवश्यक है, उनकी व्याख्या करता है| योग दर्शन का अष्टांगिक मार्ग भारतीय जीवन मूल्यों की रूपरेखा निर्धारित करते हैं विशेषकर अष्टांग योग के दो प्रमुख अंग यम एवं नियम सभी योगिक मार्गो का या अंगों का आधार प्रस्तुत करते हैं| यम जिसका पालन मनुष्य समाज के लिए आचार संहिता को कायम रखने हेतु करता है| यम के 5 अंगों के पालन करने से समाज में शांति, प्रेम, सद्भावना, कर्तव्य भावना, इमानदारी जैसे महत्वपूर्ण गुणों का विकास होता है
वही अष्टांग योग के दूसरे मार्ग नियम के 5 अंगों का पालन मनुष्य स्वयं के व्यक्तित्व का विकास और संवर्धन करने के लिए करता है| नियम के अंगो का पालन व्यक्ति को गुणों से युक्त होकर उद्देश्य पूर्ण जीवन जीने के लिए प्रेरित करते हैं जिसमें व्यक्ति के अंदर संयम, अनुशासन, साहस, जागरूकता और बुद्धिमता का अच्छा विकास होता है| अतः योग भारतीय जीवन शैली की वैज्ञानिक पद्धति है जिससे कई हजारों वर्ष के अथक परिश्रम और अनुसंधान करके प्राचीन भारतीय ऋषि-मुनियों ने विकसित किया है|
हमारे भारतीय जीवन की आध्यात्मिक प्रणाली मनुष्य को सिर्फ एक शरीर या ढांचे के रूप में नहीं देखती वरन उसे एक दिव्य आत्मा, प्राणशक्ति या परमात्मा स्वरुप ही मानती है| भारतीय जीवन प्रणाली सिर्फ यह नहीं देखती कि जीवन का निर्वाह कैसे हो, बल्कि यह उपाय और विचार भी किया जाता है कि मनुष्य जीवन कैसे सार्थक हो।
भारतीय जीवन के योग रूपी आध्यात्मिक मूल्य संपूर्ण विश्व का प्रतिनिधित्व कर सकते हैं, वह संपूर्ण मानव जाति को नई दिशा देकर मानव जाति के उच्चतम लक्ष्यों को प्राप्त कर सकते हैं|
Keywords :
जीवन मूल्य, अष्टांग योग, योग दर्शन, संवर्धन, अध्यात्म