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समकालीन कविता में सामाजिक संवेदना

Author : Dr. Mamta Devi

Abstract :

मनुष्य समाज और प्रकृति की विशिष्ट रचना है जो अपनी कल्पनाओं और सृजनशीलता के आधार पर प्रकृति के विभिन्न रूपों एवं दृश्य को अपने हृदय धरातल पर अनुभव करता है यह अनुभव वह अपनी कविताओं के स्वरों के माध्यम से अभिव्यक्त करता है युग परिवर्तन के साथ-साथ साहित्य में भी परिवर्तन देखा जा सकता है । कवि  ने समाज और व्यक्ति गत जीवन में हुए परिवर्तनों को अपने रचनाओं के माध्यम से प्रस्तुत किया है। समकालीन कवियों ने समाज की वास्तविक तस्वीर को कविता के माध्यम से दिखाने का प्रयास किया है आधुनिक युग की कविता में नई चेतना नई संवेदना नये बिम्बों एवं नवीन कल्पनाओं का समावेश है। समकालीन कविता में अनेक स्वरों की गुंजन प्रतीत होती है कहीं कुंठा, संत्रास का स्वर तो वहीं प्राकृतिक सौंदर्य, रहस्यवादी व्यंगात्मक स्वर सुनाई देते हैं।

Keywords :

समकालीन-वर्तमान समय, परिवर्तन-बदलाव, संवेदना-भावना, जनतंत्र-जनता का शासन