आचार्य नरेन्द्रदेव, समाजवाद और शिक्षा
Author : डॉ. नवनीत कुमार सिंह
Abstract :
आचार्य नरेन्द्रदेव भारत में प्रमुख समाजवादी आन्दोलन के अग्रणी नेता थे एवं उन्हीं की अध्यक्षता में ही समाजवादियों का पहला अखिल भारतीय सम्मेलन सन् 1934 ई0 को पटना में हुआ था। वह एक नैतिक समाजवादी थे। वह समाजवाद को नैतिक धारणा मानते थे तथा नैतिक मूल्यों की प्राथमिकता में उन्हें विश्वास था। आचार्य जी का मानना था कि समाजवाद एक सांस्कृतिक आन्दोलन है, जिसका केन्द्र मानव है और समाजवाद में “मानव सर्वोपरि है”। उनके समाजवादी चिन्तन की रीढ़ मानव और मानवता है। उनके मतानुसार, समाजवाद में व्यक्ति का व्यक्ति द्वारा तथा व्यक्तिसमूह का व्यक्तिसमूह द्वारा शोषण समाप्त होगा, तभी समाजवाद की मर्यादा सुरक्षित रहेगी। आचार्य जी ने शिक्षा जगत को एक नई राह व नया आधार दिया। उनकी शिक्षा का उद्देश्य देश के नवयुवकों को भावी जीवन के लिए तैयार करना है। स्वयं शिक्षक होने के कारण उन्होंने शिक्षा के क्षेत्र में शिक्षक के महत्व को स्वीकार किया। उन्होंने शिक्षकों को उदासीनता, आलस्य और निष्क्रियता का त्याग करने का परामर्श दिया। उनके अनुसार इसमें कोई सन्देह नहीं कि किसी भी शिक्षा पद्धति की सफलता अन्त्तोगत्वा अध्यापक पर ही निर्भर करती है। वह शिक्षा के विभिन्न चरणों में सामंजस्य के समर्थक थे।
Keywords :
आचार्य नरेन्द्रदेव, समाजवाद, शिक्षा।