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महिला यौन कर्मी और उनका नागरिक जीवनः कबाड़ी बाजार मेरठ का एक अध्ययन

Author : Manoj Kumar

Abstract :

सभ्यता और संस्कृति के विकास के साथ वेश्यावृत्ति का भी पूरी दुनिया में चरम उभार हो चुका है। उत्तर-आधुनिक समाज में वेश्यावृत्ति (यौन कार्य) के अलग-अलग रूप भी सामने आए हैं। लाल बत्ती क्षेत्रों से निकल कर वेश्यावृत्ति अब मसाज पार्लरों एवं एस्कार्ट सर्विस के रूप में भी फल-फूल रही है। देह का धंधा कमाई का चोखा जरिया बन चुका है। गरीब और विकासशील देशों जैसे भारत, थाइलैंड, श्रीलंका, बांग्लादेश आदि में सेक्स पर्यटन का चलन शुरू हो चुका है । वेश्यालय आधारित यौन कार्य यौन श्रम का एक ऐसा स्थान है, जो कि पुराने मेरठ शहर का भाग हैं, जो की तीन वर्ष पूर्व पूरी तरह से बंद कर दिया गया और यहाँ पर कार्यरत महिला यौनकर्मियां नई अस्मिता की तलाश में यहाँ से दूसरी जगह चली गयी। यहाँ पर काम करने के (दौरान और सेवानिवृत्ति के बाद और पहले), महिला यौन कर्मीयों और इनके बच्चों के लिए किस तरह के नागरिक अधिकार प्राप्त हो रहे थे और उनकी सुरक्षा किस तरह हो रही थी, जैसे कि–उनको सम्पत्ति रखने का अधिकार, शोषण के खिलाफ विरोध करने का अधिकार, समाज में समानता का अधिकार, मनपसंद खानपान, कपड़े, मकान, शिक्षा, स्वास्थ्य की सेवाओं का अधिकार, मतदान देने का अधिकार, चुनाव लड़ने का अधिकार, राजनेतिक पार्टी या कोई संस्था, संघ अथवा यूनियन बनाने का अधिकार, कहीं भी जमा होने या आने-जाने का अधिकार, यह कार्य छोड़कर अपनी जीविकोपार्जन करने के लिए अन्य श्रम एवं व्‍यवसाय करने की स्‍वतंत्रता के अधिकारों का संरक्षण इनके लिए किस प्रकार से हो रहा है, को विश्लेषण करने का प्रयास किया हैं। यह यौन श्रमिक अपना जीवन निर्वाह करती हैं, शौध पत्र में यह समझने का प्रयास किया गया है कि वर्तमान के गणतंत्र भारत में इस जगह उनका नागरिक रहन सहन और दैनिक जीवन किस प्रकार चलता है।

Keywords :

महिला यौन कर्मी, यौन श्रम, देहव्यापार, दलाल, ग्राहक, नागरिकता, समाजवाद आदि