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डॉ. भीम राव अम्बेडकर के आर्थिक चिन्तन का विश्लेषणात्मक अध्ययन

Author : सरिता सिंह और अनिल कुमार नागर

Abstract :

आर्थिक विचारकों के मन में हमेशा आर्थिक विकास का प्रश्न होता है। उन्होंने समसामयिक परिस्थितियों से उबरने के लिए आर्थिक समस्याओं पर कुछ विचार और समाधान रखे हैं। इसका अर्थ यह नहीं है कि वे विचार और समाधान आज पुराने हो चुके हैंै। उन विचारों में वर्तमान अर्थव्यवस्था को सही दिशा में निर्देशित करने की क्षमता है। भारत के मामले में अनेक विशेषज्ञों ने सामाजिक-आर्थिक क्षेत्र से संबंधित अपने बहुमूल्य विचार रखे हैं। हालांकि उनके विचार सिद्धांत के रूप में नहीं हैं लेकिन आर्थिक विकास के लिए बहुत महत्वपूर्ण हैं। जब हम डॉ. बी.आर. अम्बेडकर के आर्थिक विचारों पर गौर करते हैं तो हमने उन्हें बहुत महत्वपूर्ण आर्थिक विचारकों में पाया है। डॉ बी आर अंबेडकर को ‘बाबासाहेब‘ के नाम से जाना जाता है। वह एक भारतीय विधिवेत्ता, राजनीतिज्ञ, दार्शनिक, मानवविज्ञानी, इतिहासकार और अर्थशास्त्री थे। डॉ. अम्बेडकर भारत के संविधान के महान शिल्पकार थे। आर्थिक चिंतन में डॉ. अम्बेडकर का योगदान बहुत महत्वपूर्ण है। उन्होंने भारत में लोगों की सामाजिक-आर्थिक स्थिति के संबंध में कुछ मुद्दों और विकल्पों पर प्रकाश डाला। उन्होंने कृषि, केंद्र और राज्य सरकार के बीच संबंध, औद्योगीकरण, मुद्रा, वित्त प्रणाली, बीमा, शिक्षा, मिश्रित अर्थव्यवस्था, समाजवाद, आर्थिक असमानता, गरीबी एवं बेरोजगारी आदि पर अपने आर्थिक विचार व्यक्त किए हैं। उनके आर्थिक विचार आज भी प्रासंगिक हैं। प्रस्तुत पत्र उनके कुछ महत्वपूर्ण आर्थिक विचारों को उजागर करने का एक प्रयास है।

Keywords :

मिश्रित अर्थव्यवस्था, औद्योगिकरण, समाजवाद, आर्थिक असमानता