प्राचीन भारत में शारीरिक शिक्षा और खेलों का ऐतिहासिक परिप्रेक्ष्य: सिंधु सभ्यता से गुप्त काल तक
Author : Dr. Mohan Lal and Dr. Kuldeep Singh
Abstract :
प्राचीन भारत में शारीरिक शिक्षा का विकास सांस्कृतिक, धार्मिक, और सामाजिक संदर्भों में हुआ। यह सिर्फ शारीरिक स्वास्थ्य को बनाए रखने के लिए नहीं, बल्कि मानसिक संतुलन, सैन्य कौशल, और सामाजिक संबंधों को मजबूत करने के लिए महत्वपूर्ण था।सिंधु घाटी सभ्यता में शारीरिक शिक्षा का महत्व सामाजिक और सांस्कृतिक जीवन का हिस्सा था। नृत्य, संगीत, योग, तीरंदाजी, शिकार, और खेलों जैसे गोटियाँ और बच्चों के खेल (जैसे मिट्टी के खिलौने) शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य को बढ़ावा देने वाले थे। सामूहिक स्नानघरों और जलाशयों से शारीरिक स्वच्छता के प्रति जागरूकता का संकेत मिलता है।
वैदिक काल में शारीरिक शिक्षा में सूर्यनमस्कार, योग, और युद्धकौशल (कुश्ती, धनुष-बाण, गदा युद्ध) का अभ्यास किया जाता था। धार्मिक अनुष्ठानों में शारीरिक और मानसिक संतुलन के लिए योग और आसन का महत्व था। सैन्य प्रशिक्षण, विशेषकर कुश्ती और तीरंदाजी, योद्धाओं के लिए अनिवार्य था। रामायण में शारीरिक शिक्षा का विस्तार से वर्णन है, जिसमें रथ-सवारी, शिकार, मल्लयुद्ध, तैराकी और मानसिक खेलों का उल्लेख है। महाभारत में शारीरिक गतिविधियों का उद्देश्य शारीरिक, मानसिक और युद्ध कौशल का विकास था। शारीरिक खेलों जैसे कुश्ती, तैराकी, और मानसिक खेल जैसे चोपड़ के माध्यम से खेलों की सांस्कृतिक और मानसिक महत्वता सामने आई। बौद्ध काल में शारीरिक शिक्षा का जोर मानसिक शांति और अहिंसा पर था, जबकि मौर्य काल में शिकार, मल्लयुद्ध, घुड़सवारी, तीरंदाजी और भाला फेंकने जैसी सैन्य कला का प्रचार हुआ। चंद्रगुप्त मौर्य और कौटिल्य द्वारा शारीरिक शिक्षा पर जोर दिया गया, जिसमें युद्धकला, घुड़सवारी, और शस्त्र विद्या की शिक्षा दी जाती थी। गुप्त काल को भारतीय इतिहास का स्वर्ण युग माना जाता है, जिसमें शारीरिक शिक्षा और खेलों का महत्व बढ़ा। समुद्रगुप्त और विक्रमादित्य के शासनकाल में शिकार, तैराकी, मल्लयुद्ध और युद्ध कौशल को बढ़ावा मिला। नालंदा विश्वविद्यालय जैसे शैक्षिक केंद्रों ने शारीरिक शिक्षा को समग्र शिक्षा का हिस्सा बना लिया, जिसमें योग, तैराकी और शारीरिक प्रशिक्षण के अभ्यास की व्यवस्था थी I
Keywords :
प्राचीन, भारतीय सभ्यता, शारीरिक शिक्षा, खेल-कूद, इतिहास, योग और ध्यान, मल्लयुद्ध, सैन्य प्रशिक्षण, शारीरिक और मानसिक विकास आदि I